सनातन धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। देशभर में बसंत पंचमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार माघ माह में बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन होता है। इस खास अवसर पर लोग पीले रंग के वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और भोग के लिए मीठे पीले चावल बनाए जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इस दिन मीठे पीले चावल क्यों बनाए जाते हैं। चलिए आपको बताएंगे इस दिन मीठे पीले चावल बनाने का धार्मिक महत्व।
मीठे पीले चावल का धार्मिक महत्वधार्मिक मान्यता के अनुसार, पीला रंग समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। इसलिए लोग बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का अधिक इस्तेमाल करते हैं। माना जाता है कि इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने से इंसान की कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां सरस्वती को मीठे पीले चावल बेहद प्रिय है। इसलिए इस दिन मां सरस्वती को मीठे पीले चावल का भोग लगाया जाता है, जिससे मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और साधक को उनकी कृपा प्राप्त होती है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। मीठे पीले चावल के प्रसाद का लोगों में वितरण किया जाता है।
इसके अलावा आप मां सरस्वती के भोग में कई विशेष चीजों को शामिल कर सकते हैं। मान्यता के अनुसार, मां सरस्वती को बूंदी अधिक प्रिय है। अगर आप गुरु ग्रह को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो ऐसे में आप मां सरस्वती को बूंदी का भोग लगाएं। मां सरस्वती को भोग के रूप में राजभोग भी शामिल कर सकते हैं। इस दिन मां सरस्वती को राजभोग अर्पित कर लोगों को प्रसाद के रूप में खिलाएं।