बिहार में सत्ता का समीकरण बदलने के साथ ही राजग के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे अनौपचारिक पहल शुरू हो चुकी है। मुख्य रूप से यह काम दोनों बड़े घटक दलों भाजपा और जदयू को करना है। तीन अन्य सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक सीटें देनी हैं, ताकि गठबंधन में सहजता बनी रह सके।

इस प्रयास में जदयू की लोकसभा सीटें तो कम नहीं होंगी किंतु संतुलन के लिए उसे अन्य राज्यों का विकल्प दिया जा सकता है। उसके अभी 16 सांसद हैं, लेकिन बिहार में तीन कम सीटें देकर दूसरे प्रदेशों से भरपाई की जा सकती है। ध्यान रहे कि 2019 में भाजपा को जीती हुई पांच सीटें जदयू के लिए छोड़नी पड़ी थी।

भाजपा 17-18 सीटों पर लड़ना चाहती है चुनाव

सूत्रों के अनुसार बिहार में पांच दलों के गठबंधन वाले राजग में जदयू-भाजपा और लोजपा (दोनों गुट) के बीच सांसदों की वर्तमान संख्या के अनुरूप सीटों को बांटने की तैयारी है। लोकसभा की 40 सीटों वाले बिहार में भाजपा 18-19 सीटों पर लड़ना चाहती है। प्रदेश में उसके अभी 17 सांसद हैं। लोजपा (चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस की पार्टी) के पास भी छह सांसद हैं। तीनों दलों में सीटों का बंटवारा इसी अनुपात में होगा।

राजग के अहम सहयोगी रालोजपा और हम

किंतु उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोजपा एवं जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के पास अभी एक भी सांसद नहीं हैं, लेकिन ये भी राजग के अहम सहयोगी हैं। गठबंधन में जदयू के आने के बाद भी भाजपा की कोशिश दोनों पुराने मित्र दलों को साथ लेकर चलने की है।

नड्डा ने कुशवाहा को आग्रहपूर्वक राजभवन बुलाया

ऐसा संकेत भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस कदम से मिलता है, जब उन्होंने पटना में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए कुशवाहा को आग्रहपूर्वक राजभवन बुलाया था। काराकाट जा रहे कुशवाहा उस दिन नड्डा का संदेश मिलते ही बीच रास्ते से लौट गए थे। ऐसे में माना जा रहा कि उन्हें दो सीटें मिल सकती हैं। मांझी को एक सीट तो पक्की है। दूसरी के लिए दबाव बना रहे हैं।

पुरानी हैसियत की वापसी चाह रहे हैं चिराग

भाजपा के सामने बड़ी दुविधा लोजपा के दोनों गुटों को लेकर है। चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस से खफा हैं। उन्हें अपनाने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। पिछली बार लोजपा को भाजपा ने लोकसभा की छह एवं राज्यसभा की एक सीट दी थी। समझौते के तहत रामविलास राज्यसभा गए थे। उनके निधन के बाद से राज्यसभा सीट का कोटा लोजपा के हाथ से खिसक गया।

चिराग पुरानी हैसियत की वापसी चाह रहे हैं,

किंतु उनके हिस्से में भी एक सीट की कटौती हो सकती है। छह के बदले उन्हें पांच और एक राज्यसभा सीट दी जा सकती है।

जदयू को बिहार के बाहर मिल सकती हैं सीटें

जदयू के अभी 16 सांसद हैं। बिहार में उसे 13 सीटें मिलेंगी तो बाकी की भरपाई दूसरे राज्यों से होगी। सूत्रों के अनुसार जदयू को उत्तर प्रदेश, झारखंड एवं अरुणाचल प्रदेश में एक-एक सीटें दी जा सकती हैं। अरुणाचल में जदयू ने पहले से ही अपने एक प्रत्याशी की घोषणा कर रखी है।

भाजपा दे सकती है जदयू को समर्थन

भाजपा उसे समर्थन दे सकती है। इस तरह उसकी सीटों की संख्या कम नहीं होगी। यह फॉर्मूला जदयू को इसलिए रास आ सकता है कि बिहार के बाहर भी उसका संगठन विस्तार हो सकता है। इससे उसके राष्ट्रीय पार्टी बनने में भी मदद मिल सकती है।

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