दिल्ली में, राजपथ पर भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस और अर्धसैनिक समूहों की रेजिमेंटल परेड होगी। ये गणतंत्र दिवस समारोह तीन दिन तक चलता है।

इस साल की थीम

इस वर्ष गणतंत्र दिवस की थीम है ‘विकसित भारत’ और ‘भारत – लोकतंत्र की मातृका’ (यानी भारत लोकतंत्र की मां है) है।

ईस साल इमैनुएल मैक्रों हैं मुख्य अतिथि

26 जनवरी यानी वो दिन जब हमारे देश में संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र बन गया। आज देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।

इस वर्ष 26 जनवरी के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों चीफ गेस्ट होंगे। मैक्रों पेरिस से सीधे जयपुर पहुंचेगे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बीच द्विपक्षीय बैठक होगी।

1950 मे पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के मुख्य अतिथि बने थे।

मैक्रों इससे पहले मार्च 2018 में स्टेट विजिट पर भारत आ चुके हैं। इसके साथ ही भारत में सितंबर 2023 में हुई G20 समिट में भी मैक्रों शामिल हो चुके हैं।

1976 (प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी) से लेकर अब तक 5 बार फ्रांस के राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस के लिए भारत ने आमंत्रित किया है।

पिछले बरस 14 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की बास्तील डे परेड में चीफ गेस्ट के रूप में शामिल हुए थे। मोदी इस परेड में शामिल होने वाले दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बास्तील डे परेड में शामिल हो चुके हैं।

विदेश मंत्रालय ऐसे तय करता है मुख्य अतिथि

किसी भी देश के प्रमुख को बुलाने से पहले विदेश मंत्रालय से विचार-विमर्श किया जाता है। दोनों देशों के आपसी संबंधों के अलावा मित्र देशों के संबंधों को भी ध्यान में रखा जाता है कि इससे कहीं दूसरे देशों पर गलत असर तो नहीं होगा।

नाम तय हो जाने के बाद राष्ट्रपति से मंजूरी ली जाती है और अतिथि को बुलाने से पहले उनकी उपलब्धता की जानकारी ली जाती है। उसके बाद आमंत्रण भेजा जाता है और ये लिस्ट छह महीने पहले तय कर ली जाती है।

भारत और फ्रांस के बीच मैत्री की शुरुआत उस वक्त से मानी जाती है, जब 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था।

जहां एक तरफ पोखरण का विरोध करते हुए अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों ने भारत पर कई पाबंदियां लगा दी थीं, तब फ्रांस पश्चिम का इकलौता ऐसा देश था, जिसने भारत को समर्थन दिया था।

परेड में फ्रांस के राफेल जेट भी होंगे रक्षा मंत्रालय के अनुसार, गणतंत्र दिवस की परेड में फ्रांसीसी फोर्स के 95 जवानों वाली मार्चिंग कंटिन्जेंट, 33 जवानों का बैंड और फ्रांसीसी एयरफोर्स के राफेल जेट और मल्टीरोल टैंकर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट शामिल होंगे।

ऐसा पहली बार होगा, जब फ्रांस के राफेल जेट गणतंत्र दिवस की परेड में फ्लाईपास्ट का हिस्सा होंगे।

गणतंत्र दिवस पर ये होगा खास

1. महिलाओं वाला त्रि-सेवा समूह

मेजर जनरल सुमित मेहता ने 22 जनवरी को बताया था कि एक पूर्ण-महिला त्रि-सेवा (Tri-Service Contingent) समूह पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा बनेगा।

इस ऐतिहासिक दल में सेना की सैन्य पुलिस की महिला सैनिकों के साथ-साथ अन्य दो सर्विस की महिलाएं भी शामिल होंगी।

इसके साथ ही तीन जीवित परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं में से दो, कैप्टन योगेन्द्र यादव और सूबेदार मेजर संजय कुमार, गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेंगे।

2. छह भारतीय फ्रांसीसी सैन्य दल होंगे शामिल

75वें गणतंत्र दिवस परेड में छह भारतीय, टुकड़ियों के साथ मार्च करने वाले फ्रांसीसी सैन्य दल का हिस्सा बनेंगे। फ्रांसीसी मार्चिंग दल के कमांडर कैप्टन नोएल लुईस ने फ्रांसीसी दल में छह भारतीयों की भागीदारी की बात कही है। इनमें सीसीएच सुजन पाठक, सीपीएल दीपक आर्य, सीपीएल परबीन टंडन, गुरवचन सिंह, अनिकेत घर्तिमागर और विकास डीजेसेगर शामिल होंगे।

3. ‘अनंत सूत्र – द एंडलेस थ्रेड’ झांकी होगी प्रदर्शित

कर्तव्य पथ पर बैठे हुए दर्शकों के पीछे वस्त्र स्थापना प्रदर्शित की जाएगी। यह इंस्टालेशन भारत के सभी कोनों से लगभग 1,900 साड़ियों और पर्दों को प्रदर्शित करेगा, जो कर्तव्य पथ के साथ लकड़ी के फ्रेम पर लगाए जाएंगे।

प्रत्येक साड़ी में QR कोड होंगे, जिससे उपस्थित लोगों को बुनाई और कढ़ाई की जानकारी स्कैन करने और जानने की सुविधा मिलेगी।

4. AI भी होगा परेड का हिस्सा

मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में एक झांकी प्रदर्शित करेगा। इसमें सभी क्षेत्रों में आर्टिफिशयिल इंटेलिजेंस के उपयोग के बारे में बताया जाएगा। झांकी में AI के जरिए एक टीचर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए वीआर हेडसेट का यूज करते हुए दिखाया जाएगा।

5. ISRO के चंद्रयान-3 का प्रदर्शन होगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की झांकी इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में होगी, जो चंद्रयान-3 मिशन की उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगी।

इस झांकी में चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग और सफल लैंडिंग को प्रमुखता से दिखाया जाएगा, जिसमें चंद्रमा के साउथ पोल पर इसके टचडाउन पर विशेष ध्यान दिया गया है।

6. फ्लाईपास्ट में फ्रांसीसी भी शामिल होंगे

फ्लाईपास्ट में एक फ्रांसीसी ईंधन भरने वाला विमान और दो फ्रांसीसी राफेल विमान आसमान की शोभा बढ़ाएंगे। फ्लाईपास्ट में नई जनेरेशन के व्हीकल जैसे टेरेन व्हीकल, हल्के स्पेशल व्हीकल और विशेष गतिशीलता वाले व्हीकल प्रदर्शित किए जाएंगे। ALH ध्रुव रुद्र और LCH प्रचंड जैसे प्रसिद्ध क्राफ्ट भी इसमें हिस्सा लेंगे।

भारतीय वायु सेना के फ्लाईपास्ट में लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों सहित 51 विमान शामिल होंगे, जिनमें विशेष रूप से 15 महिला एविएटर शामिल होंगी।

7. कई विशेष अतिथि होंगे शामिल

परेड देखने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने वालों और सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को परेड देखने के लिए बुलाया गया है।

विशेष अतिथियों में प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम उज्ज्वला योजना, पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि, पीएम कृषि सिंचाई योजना, पीएम फसल बीमा योजना, पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएम अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना, पीएम मत्स्य सम्पदा जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले लोग शामिल हैं।

इसके अलावा, इन लोगों में वाइब्रेंट गांवों के सरपंच, स्वच्छ भारत अभियान, इलेक्ट्रॉनिक इंफ्रास्टरकचर, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की महिला कार्यकर्ता, इसरो की महिला अंतरिक्ष वैज्ञानिक, योग शिक्षक (आयुष्मान भारत), अंतर्राष्ट्रीय खेल विजेता, पैरालंपिक पदक विजेता, सर्वश्रेष्ठ स्वयं सहायता समूह (SHG) शामिल हैं।

इसके साथ ही किसान उत्पादक संगठन, पीएम मन की बात कार्यक्रम के, और प्रोजेक्ट वीर गाथा 3.0 के ‘सुपर-100’ और राष्ट्रीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता के विजेताओं को बुलाया है।

भारत के गणतंत्र दिवस का इतिहास

भारत 15 अगस्त 1947 को जब आजाद हुआ, तब हमारे देश के पास कोई अपना विधान नहीं था। इसके बाद 29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक कमेटी बनाई गई।

इस कमेटी का नेतृत्व डॉ.भीमराव अंबेडकर ने किया और इसमें के.एम. मुंशी, मुहम्मद सादुल्लाह, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, गोपाला स्वामी अयंगार, एन. माधव राव, और टी.टी. कृष्णमाचारी जैसे बड़े दिग्गज शामिल थे।

4 नवंबर 1947 को इसका मसौदा तैयार होकर संविधान सभा के सामने भेजा गया और अगले दो सालों में हुई कई बैठकों के बाद इसे 24 जनवरी 1950 को स्वीकार कर लिया गया।

26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराने से इसकी शुरुआत की। इसके बाद 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मान्यता दी गई।

26 जनवरी को खासकर इसीलिए संविधान की ‘पहली तारीख’ के रूप में चुना गया था, क्योंकि इसी दिन 1930 में कांग्रेस के लाहौर सत्र (दिसंबर 1929) के प्रस्ताव के बाद पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था।

 

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