हर साल 25 जनवरी को राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day) मनाया जाता है. दरअसल 25 जनवरी 1950 को भारत के चुनाव आयोग की स्‍थापना हुई थी और इसके अगले दिन यानी 26 जनवरी को संविधान लागू करके गणतंत्र दिवस मनाया गया था. हालांकि वोटर्स डे की शुरुआत साल 2011 में हुई थी. साल 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पहली बार 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया था और तब से ये दिन हर साल सेलिब्रेट किया जाने लगा.

राष्ट्रीय मतदाता दिवस के दिन देश भर में फैले मतदान केंद्रों पर विशेष आयोजन किया जाता है. इस दौरान नये मतदातओं का पंजीकरण, मृत या विस्थापित मतदाताओं का नाम हटाना, फोटो युक्त चुनाव पहचान पत्र (Electoral Photo Identity Card) निर्माण के लिए आवेदन लिया जाता है. इस दिन आयोग की ओर से मैराथन दौड़, रैली सहित, सेमिनार आदि का आयोजन किया जाता है.

ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को चुनाव में हिस्सा लेने के लिए चुनाव आयोग नियमित रूप से खासकर चुनाव पूर्व कई प्रकार के अभियानों को चलाता है. इसी कड़ी में आयोग की ओर से व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी चलाया जाता है. इसे SVEEP कहा जाता है. इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा योग्य युवाओं का मतदाता सूची में पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित करना व पंजीकृत मतदाताओं को चुनाव में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करना.

किसको है वोट देने का हक।

भारतीय संविधान के मुताबिक 18 साल से ऊपर के लोग जिन्होंने खुद को वोटर के रूप में रजिस्‍टर्ड किया हुआ है उन्हें वोट देने का अधिकार है. ये लोग राष्ट्रीय, राज्य, जिला स्तर पर होने वाले चुनावों के साथ स्थानीय सरकारी निकायों के चुनावों में भी वोट देने का अधिकार रखते हैं. जब तक कोई व्‍यक्ति वोट न देने के मापदंडों में न आता हो, तब तक उससे मतदान करने का हक कोई नहीं छीन सकता. लेकिन इसके लिए व्‍यक्ति को अपने निवास स्‍थान पर ही खुद को रजिस्‍टर्ड कराना होगा. साथ ही मतदाता अपने पंजीकृत क्षेत्र में ही मतदान कर सकता है.

कुछ समय पहले तक NRI को वोट करने का अधिकार नहीं था, लेकिन साल 2010 में एक संशोधन किया गया, जो NRI को मतदाताओं के रूप में खुद को पंजीकृत करने और चुनावों में मतदान करने की अनुमति देता है. पासपोर्ट में दिए गए पते के आधार पर प्रवासी भारतीय को सामान्य रूप से निवासी माना जाता है और उनका वोटिंग अधिकार होता है.

मतदाताओं के अधिकार।

सभी म‍तदाताओं को चुनाव में हिस्‍सा लेने वाले सभी प्रत्‍याशियों की जानकारी लेने का पूरा अधिकार होता है. इस अधिकार के जरिए कोई भी व्यक्ति प्रत्याशियों के चुनाव घोषणा पत्र की जानकारी, उनका वित्तीय लेखा-जोखा और आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जान सकता है.

वोटर अगर किसी प्रत्‍याशी को वोट देने लायक नहीं समझता तो उसे किसी को वोट न देने का भी अधिकार है. ऐसे में वो नोटा के जरिए चुनाव में उतरे किसी भी प्रत्‍याशी को न चुनने के अधिकार का इस्‍तेमाल कर सकता है.

80 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग और दिव्यांग अगर चाहें तो अपनी इच्छानुसार मतदान केंद्र पर जाकर भी वोट दे सकते हैं. अगर वे नहीं जा सकते तो उन्‍हें डाक पत्र के जरिए मतदान करने का अधिकार दिया जाता है. उनके सामने दोनों ही विकल्‍प मौजूद हैं.

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