Saturday, March 25, 2023
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 रायपुर में कहा पर स्थित हैं हेरिटेज

रायपुर छत्तीसगढ़ 20/5/22/DNB| कल हम रायपुर में स्थित 3 हेरिटेज के बारे में जाने थे आज इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम अन्य जगहों के विषय में बताते हैं                                                                                                                                                                              4 जैतुसाव मठ - रहस्यों से भरा है रायपुर का जैतू साव मठ का इतिहास महात्मा गांधी ने ली थी सभा, दलितों को दिलाया मंदिर प्रवेश का हक साल 1920 और 1933 में रायपुर आए थे मोहन गांधी धमतरी के कंडेल में चले नहर सत्याग्रह का समर्थन देने भी पहुंचे थे,गांधी के आने की खबर सुनकर झुक गई थी अंग्रेज सरकार मठ में हुई सभा में महात्मा गांधी ने लोगों को छूआछूत मिटाने और दलितों के साथ मिल जुलकर रहने प्रेरित किया। यहीं पास में स्थित है बावली वाले हनुमान। सालों पहले यहां एक कुंड से भगवान हनुमान की तीन मुर्तियां निकलीं थीं। यह मुर्तियां यहां के मंदिरों में स्थापित हैं। स्थानिय निवासी और रिटायर शिक्षक डॉ रेवा राम यदु ने बताया कि सभा के बाद भीड़ के साथ महात्मगा गांधी आगे बढ़े, हनुमान मंदिर में प्रवेश किया। यहां उन्होंने दलितों को भी प्रवेश दिलाया। तब से यह मान्यता खत्म हुई अब मंदिर के दरवाजे हर वर्ग के लिए खुले हैं। यहीं नजदीक एक कुआं भी है कुंए से किसी भी दलित को पानी लेने की इजाजत नहीं थी। जब महात्मा गांधी को यह पता चला तो वह इस कुएं की तरफ भी बढ़े। एक दलित बच्ची से उन्होंने पानी निकालने को कहा। बच्ची ने पानी निकाला और पास ही मौजूद लोगों से इस पानी के पीकर छूआछूत का भेद खत्म किया

5 टुरी हटरी – 400 साल पहले कल्चुरि वंश ने पुरानी बस्ती में किया था स्थापित, छोटी-छोटी बालिकाएं बेचा करती थीं साज- सिंगार का सामान  प्रदेश की राजधानी में एक ऐसा भी बाजार है, जो करीब 400 साल से अधिक पुराना है। आश्चर्य की बात है कि साज- सिंगार से आज भी बाजार सजा हुआ है। बाजार में सौंदर्य से जुड़ी सभी तरह की छोटी-बड़ी चीज आज भी उपलब्ध हैं। ‘टूरी हटरी’नाम से बना बाजार प्रदेश की संस्कृति की पहचान दे रहा है। टूरी का अर्थ लड़की और हटरी का अर्थ बाजार होता है। लड़कियों के सजने और संवारने के लिए तैयार किए गए बाजार में साज- सिंगार के साथ परिधान भी मौजूद हैं।

6 बावली हनुमानजी - छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वैसे तो अनेक हनुमान मंदिर हैं, लेकिन इनमें तीन बड़े मंदिर ऐसे हैं जहां प्रतिष्ठापित हनुमानजी की प्रतिमाएं एक ही बावली से निकली हुई हैं। इस बावली का इतिहास 500 साल से अधिक पुराना है। इनमें से एक प्रतिमा बावली के बगल में ही स्थापित की गई है। दूसरी तीन किलोमीटर दूर दूधाधारी मठ में और तीसरी पांच किलोमीटर दूर गुढ़ियारी इलाके के मच्छी तालाब के किनारे प्रतिष्ठापित की गई है। तीनों मंदिरों में हर मंगलवार को हजारों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि हनुमानजी की कृपा से मच्छी तालाब का पानी हमेशा लबालब रहता है। आसपास के सभी तालाब सूख जाते हैं, लेकिन इस तालाब का पानी नहीं सूखता। इसी तालाब के पानी से हनुमानजी का अभिषेक किया जाता है। पूरे मंदिर की सफाई में भी तालाब का पानी इस्तेमाल होता है। इस तालाब के आसपास रहने वालों के घर के बोर भरी गर्मी में भी नहीं सूखते।
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