गंगोत्री धाम 03 मई 2022| देश में चारधाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर है की आज से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल रहे हैं। दिन में 11.15 बजे गंगोत्री धाम और दोपहर 12.15 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इसके साथ ही आधिकारिक रूप से चार धाम यात्रा शुरू हो जाएगी। दोनों ही धामों के लिए अब तक 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराए हैं। पिछले मॉनसून में उत्तराखंड में जगह- जगह लैंडस्लाइड हुई थी, बड़े- बड़े पत्थर सड़कों पर आ गिरे थे। उनका मलबा अब तक यहां मौजूद है। रास्ते में बड़े बड़े पत्थरों को हटाने का काम अब भी चल ही रहा है।
गंगोत्री धाम से निकलती हैं दो नदियां
गंगोत्री से दो नदियां निकलती हैं। एक, गोमुख से निकलने वाली भागीरथी नदी और दूसरी केदार गंगा, जिसका उद्गम क्षेत्र केदारताल है। गंगोत्री धाम से करीब 300 मीटर आगे जाकर केदार गंगा भागीरथी नदी में मिल जाती है। गंगोत्री के पास ही केदार ताल है, जहां से केदार गंगा निकलती है। ये नदी गंगोत्री से 300 मीटर आगे भागीरथी में मिल जाती है।
भगीरथ की तपस्थली : गंगोत्री मंदिर के ठीक सामने राजा भगीरथ की तपोस्थली है। यहां भगीरथ ने तपस्या करके गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतारा था।
गौरी कुंड : गौरी कुंड को लेकर ये मान्यता है कि राजा भगीरथ की कड़ी तपस्या के बाद मां गंगा धरती पर आईं, लेकिन यहां गंगा खुद भगवान शिव की परिक्रमा करती हैं।
सूर्य कुंड: गौरी कुंड के बगल में ही सूर्य कुंड है। सूर्य की किरणें सबसे पहले यहीं पड़ती है। इसलिए यहां का नाम सूर्य कुंड पड़ा।
पांडव गुफा : मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने पितरों के उद्धार के लिए चार धाम की यात्रा की थी। इसी यात्रा के दौरान एक गुफा में उन्होंने विश्राम किया था। तभी से इस गुफा का नाम पांडव गुफा पड़ गया। ये गंगोत्री मंदिर से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।