PM Modi In Bihar : प्रधानमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मोदी को बिहार में एक लोकसभा रैली को संबोधित करते हुए ‘मुजरा’ संबंधी टिप्पणी करने के बाद विपक्षी नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

25 मई को बिहार के बक्सर, काराकाट और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्रों में एक के बाद एक रैलियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इंडिया ब्लॉक दलितों और पिछड़े वर्गों के आरक्षण को लूटने का प्रयास कर रहा है और उन पर मुस्लिम वोट बैंक के लिए ‘गुलाम बनाने’ और ‘मुजरा’ करने का आरोप लगाया।

नरेन्द्र मोदी बक्सर मे रैली को सम्बोधित करते हुए
नरेन्द्र मोदी बक्सर मे रैली को सम्बोधित करते हुए

“बिहार वह धरती है जिसने सामाजिक न्याय की लड़ाई को नई दिशा दी है। मैं इसकी धरती पर यह घोषणा करना चाहता हूं कि मैं अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़ों के अधिकारों को छीनकर उन्हें मुसलमानों के हाथों में सौंपने की इंडिया ब्लॉक की साजिशों को नाकाम कर दूंगा। वे गुलाम बने रह सकते हैं और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए ‘मुजरा’ कर सकते हैं,”

उन्होंने इंडिया ब्लॉक पर ‘डराने’ का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब और तेलंगाना में कांग्रेस के नेताओं और तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में डीएमके और टीएमसी ने राज्य के प्रवासियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके बिहार के लोगों को आहत किया है।

उन्होंने कहा, “ये आरजेडी के लोग जो अपने लालटेन (चुनाव चिह्न) के साथ ‘मुजरा’ करते रहते हैं, उनमें विरोध में एक शब्द बोलने की हिम्मत नहीं है।” विपक्ष का विरोध: पीएम मोदी की ‘मुजरा’ टिप्पणी के बाद, इंडिया ब्लॉक के विपक्षी नेताओं ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी के गोरखपुर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “आज पीएम मोदी ने बिहार में अपना भाषण देते हुए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। देश के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है। उन्होंने विपक्षी नेताओं का अपमान किया। इससे उनकी सच्चाई सामने आ गई है।”

आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा, “पहले मैं प्रधानमंत्री से असहमत होता था… अब मैं प्रधानमंत्री के बारे में चिंतित हूं। वह मेरे देश के प्रधानमंत्री हैं, मेरे देश के प्रधानमंत्री की राजनीतिक भाषा के बारे में दुनिया क्या सोच रही होगी… ये संवाद कौन सी फ़िल्में देखकर लिखे जा रहे हैं?… अगर कोई यह कहने लगे कि मैं दैवीय मार्ग से आया हूं, मैं जैविक रूप से पैदा नहीं हुआ, अगर आप और मैं ऐसा कहते हैं, तो लोग कहेंगे उसे डॉक्टर के पास ले जाओ…”

आप सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने बार-बार कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की भाषा ऐसे उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की भाषा नहीं लगती। उनका अपने भाषण पर कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने आज जो कहा वह दुर्भाग्यपूर्ण है; देश में कोई भी उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहा है और वे इस तथ्य से निराश हैं।”

कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, “लोग भारत गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं… पिछले कुछ चुनाव अभियानों में पीएम मोदी द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द किसी देश के प्रधानमंत्री के पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं… हालांकि यह चुनाव का समय है, लेकिन पीएम को प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।”

“जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहे हैं, भाषा का स्तर और गिरता जा रहा है। पीएम मोदी ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो उनके समर्थकों को भी पसंद नहीं आ रही है। बिहार लोकतंत्र की धरती है। उन्हें काम की बात करनी चाहिए।”

सीपीआई(एम) नेता वृंदा करात ने कहा, “प्रधानमंत्री ने पटना में अपने हालिया भाषण में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है, वे बेहद निंदनीय हैं। मुझे नहीं पता कि उन्हें ऐसे शब्द कहां से मिलते हैं। यह उनकी ‘संघ परिवार’ संस्कृति होगी। मूल मुद्दा आरक्षण का है और सच्चाई यह है कि पिछले 10 सालों में मोदी सरकार के तहत आरक्षण के अधिकारों को बहुत कमज़ोर किया गया है।”

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