पटना हाई कोर्ट को याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति वर्ग तीन और चार के पदों पर वर्ष 1978 से 2011 के बीच वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के अंतर्गत विभिन्न महाविद्यालय में प्राचार्य द्वारा की गई थी. नियुक्ति के बाद इन कर्मचारियों से काम भी लिया जाता रहा. लेकिन वर्ष 2017 के बाद इन्हें उनके पद से यह कहते हुए हटा दिया गया कि आपकी नियुक्ति वैध तरीके से नहीं की गई है.
पटना हाई कोर्ट ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा पर दस लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने अदालत के आदेश का पालन करने में अनावश्यक विलंब पर सख्त रुख अपनाया. जस्टिस पीबी बजनथ्री की खंडपीठ ने अभिषेक पंकज समेत 129 कर्मचारियों की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिये.
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हटाए जाने के आदेश को इन कर्मचारियों द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 16 सितंबर, 2019 को याचिकाकर्ताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया था कि इन्हें उनके पद पर योगदान कराते हुए उनके बकाए वेतन का भुगतान कर दिया जाए.
हाई कोर्ट की एकलपीठ के आदेश को राज्य सरकार द्वारा खंडपीठ में चुनौती दी गई. कोर्ट ने 13 अप्रैल ,2023 को एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए इन सभी को इनके पद पर बहाल कर उनके बकाए का भुगतान करने का निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया. खंडपीठ के आदेश के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इन कर्मचारियों की नियुक्ति ना ही नियमित की गई और ना ही इन्हें वेतन आदि बकाये का भुगतान किया गया.
कोर्ट को याचिकाकर्ताओं द्वारा बताया गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जब हाई कोर्ट के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तब हाईकोर्ट में इन कर्मचारियों ने अदालती आदेश के अवमानना का मामला दायर किया. हाई कोर्ट ने इसी अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
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