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Modi Goverment Praised Ex PM Manmoham Singh : ‘परिवर्तन की बयार लाई…’: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की प्रशंसा की

Modi Goverment Praised Ex PM Manmoham Singh : भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों से बदलाव की बयार आई। साथ ही केंद्र ने 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने और उदारीकरण की शुरुआत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए दोनों की प्रशंसा की।

इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि 1991 के आर्थिक सुधारों ने “लाइसेंस राज युग का प्रभावी रूप से अंत कर दिया।”

Ex PM Manmoham Singh

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की आलोचना की। सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने आईडीआरए 1951 को “पुराना” और ‘लाइसेंस राज’ के युग की प्रतिबंधात्मक नीतियों का संकेत देने वाला कानून बताया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि यद्यपि नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने कई कानूनों को उदार बनाया, लेकिन अगले तीन दशकों में आने वाली सरकारों ने आईडीआरए, 1951 में संशोधन की आवश्यकता नहीं समझी।

1991 के आर्थिक सुधारों ने कंपनी कानून और व्यापार व्यवहार अधिनियम – एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार कानून (एमआरटीपी) को उदार बनाया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 1991 के आर्थिक सुधारों द्वारा लाए गए बदलाव के बावजूद, आईडीआरए अछूता रहा, जिससे केंद्र को विभिन्न उद्योगों पर महत्वपूर्ण नियंत्रण बनाए रखने की अनुमति मिली।

1991 के आर्थिक सुधार ऐसे समय में शुरू किए गए थे जब भारत गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा था। ये सुधार उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण पर केंद्रित थे। उन्होंने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को खोला, बल्कि देश में ‘लाइसेंस राज’ को भी समाप्त किया।

सॉलिसिटर जनरल ने यह भी स्पष्ट किया कि उद्योगों को नियंत्रित करने से केंद्र का हटना नियामक प्राधिकरण की कमी का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा, “केंद्र ने राष्ट्रीय हित में उद्योगों को विनियमित करने की शक्ति बरकरार रखी है, खासकर कोविड-19 महामारी जैसी आपात स्थितियों के दौरान।”

उन्होंने विस्तार से बताया कि यदि केंद्र के पास औद्योगिक अल्कोहल को विनियमित करने का अधिकार नहीं होता तो कोविड-19 संकट से निपटने की प्रतिक्रिया में समझौता हो जाता।

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