मनरेगा योजना में गड़बड़ी की जांच अब निगरानी विभाग करेगी. इसका आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है. यह मामला बिहार के पश्चिम चंपारण जिला से जुड़ा हुआ है. मनरेगा में रिश्तेदारों को जॉब कार्ड दिये जाने और पैसे की निकासी किये जाने की जांच का जिम्मेदारी पटना हाईकोर्ट ने निगरानी विभाग को सौंपा है।
कोर्ट ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
आवेदक की ओर से अधिवक्ता रंजीत कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि पश्चिम चंपारण, बेतिया के ग्राम पंचायत चुहड़ी के मुखिया ने अपने भाई,भाभी,भतीजा,भगिना एंव अन्य के नाम से जॉब कार्ड निर्गत कर दिया गया।सभी ने पैसे का निकासी किया गया,जबकि ये सभी संपन्न परिवार के हैं। ये सभी लोग मनरेगा योजना में मजदूर के रूप में कभी काम नहीं किये।
यही नहीं, जिला प्रशासन ने सही तरीके से जांच तक नहीं किया।कोर्ट ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का जिम्मा निगरानी को सौंप दिया है।
ईस पुरे मामले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए अतिरिक्त आवंटन (रकम) स्वीकृत किया जाएगा और वित्त मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि इसमें कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने इस प्रमुख कार्यक्रम को पर्याप्त धनराशि नहीं दिए जाने को लेकर की जा रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए यह बात कही।
एक साक्षात्कार में मंत्री ने पश्चिम बंगाल में इस योजना के तहत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया। यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र कोई जांच करेगा, सिंह ने हां में जवाब दिया, लेकिन जांच की प्रकृति के बारे में विस्तार से नहीं बताया। उन्होंने कहा कि मनरेगा एक मांग-प्रेरित योजना है, यह हर कोई जानता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इसके लिए अतिरिक्त धनराशि मंजूर की है।
मनरेगा के लिए 28,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि मंजूर की गई है, जिसे अगले संसद सत्र में मंजूरी दे दी जाएगी। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में मनरेगा के लिए आवंटन 60,000 करोड़ रुपये है।
विपक्ष पर प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना पर भ्रम पैदा करने का आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि खरगे (कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे) और अन्य विपक्षी नेता भ्रम पैदा करते हैं… सच्चाई यह है कि पिछले नौ वर्षों के दौरान 2,644 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस सृजित हुए हैं और केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 6.63 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए हैं, जो संप्रग शासन के दौरान किए गए आवंटन से तीन गुना है।
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