ज्ञानवापी केस में बुधवार को हिंदू पक्ष में फैसला आया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाना में पूजा-पाठ करने का अधिकार दे दिया है। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “हिंदू पक्ष को ‘व्यास का तहखाना’ में पूजा करने की इजाजत दी गई है। जिला प्रशासन को 7 दिन के अंदर व्यवस्था करनी होगी।” उन्होंने कहा कि पूजा सात दिनों के भीतर शुरू होगी। सभी को पूजा करने का अधिकार होगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में फाइल करेंगे कैविएट: विष्णु शंकर जैन विष्णु शंकर जैन ने कहा, “हम इलाहाबाद हाई कोर्ट में कैविएट फाइल करेंगे। अगर कोर्ट इसकी सुनवाई करेगा तो हम वहां पर तैयार रहेंगे।”
ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाना को जिलाधिकारी को सौंपने व उसमें पूजा-पाठ का अधिकारी देने की मांग को लेकर पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक की ओर से दाखिल मुकदमे में जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व होने का था दावा
शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से बीते साल 25 सितंबर को वाद दाखिल कर दावा किया गया था कि ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से मौजूद इमारत में तहखाना है। यह प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है। इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यास जी ब्रिटिश शासनकाल में भी वहां काबिज थे और दिसंबर 1993 तक वहां पूजा-अर्चना की है। वहां हिंदू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री वहां मौजूद हैं।
वुजूखाना सर्वे मामले में अंजुमन इंतेजामिया कमेटी समेत अन्य को नोटिस, HC ने कहा- मुद्दा विचारणीय है
वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजूखाना क्षेत्र (शिवलिंग को छोड़) के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से साइंटिफिक सर्वे कराने से इनकार करने संबंधी जिला अदालत वाराणसी के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी सहित अन्य विपक्षियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। कहा है कि मुद्दा विचारणीय है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने श्रृंगार गौरी केस में वादी नंबर एक राखी सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर उनके अधिवक्ता सौरभ तिवारी को सुनकर दिया है। याचिका में वुजूखाने का सर्वे कराने की मांग की गई है।
वाराणसी जिला न्यायाधीश ने 21 अक्टूबर, 2023 के आदेश में वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। सप्ताह भर पहले न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने प्रकरण की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। वाराणसी जिला जज की अदालत में दायर अर्जी में कहा गया था कि प्रश्नगत प्रकरण में संपत्ति के धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए वुजूखाना (‘शिवलिंगम’ छोड़कर) का सर्वेक्षण आवश्यक है।
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि एएसआई तो सर्वे कर चुका है। रिपोर्ट भी जमा कर दी गई है। इस पर सौरभ तिवारी ने कहा कि धार्मिक चरित्र पता करने के लिए वुजूखाना क्षेत्र में भी ऐसा किया जाना जरूरी है। वैसे न्यायमूर्ति का यह भी सवाल था कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एरिया सील करने का आदेश दिया है तब कैसे सर्वे हो सकता है? सौरभ तिवारी ने कहा कि ऐसा किया जा सकता है। एएसजीआइ ने कहा कि जैसा कोर्ट आदेश देगी, किया जाएगा। न्यायमूर्ति ने कैविएट की स्थिति पूछी। सौरभ तिवारी ने अनभिज्ञता जताई। इसके बाद न्यायमूर्ति ने नोटिस देने के लिए निर्देश दिया।