DNB बालोद। बालोद जिले के तांदुला जलाशय को संवारने का जिम्मा कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने उठाया है। तांदुला जलाशय को जीवनदायिनी कहा जाता है, क्योंकि इसका उपयोग न केवल बालोद बल्कि आसपास के 3 जिलों की जनता करती है, लेकिन निर्माण के बाद से ही ये काफी उपेक्षित रहा। अब कलेक्टर ने इसे संवारने के लिए रोडमैप तैयार किया है। इसका निरीक्षण करने यहां खुद कलेक्टर कुलदीप शर्मा पहुंचे। इसे पर्यटन की दृष्टि से संवारा जाएगा।
मंगलवार को यहां पहुंचे कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने बताया कि तांदुला जलाशय बालोद जिले के लिए संजीवनी की तरह है। जल संसाधनों को संवारना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यहां पर जलाशय को संवारने प्लानिंग की जा रही है। यहां लोगों के लिए कॉटेज और टेंट हाउस बनाए जाएंगे। प्रॉपर पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। यहां पर ईको फ्रेन्डली पार्क में फूड गार्डन, प्ले ग्राउंड, रेस्टोरेंट, बोटिंग की सुविधा, पाथवे निर्माण, वॉच टावर, हाईमस्ट एवं सोलर लाइट लगाने के काम कराया जाएगा। यहां आने वाले सैलानियों को बेहतर से बेहतर सुविधा एवं परिवेश देने का प्रयास किया जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि जो भी प्लान बनाए गए हैं, उसे जल्द ही क्रियान्वयन में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम लगातार योजना की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
तांदुला जलाशय तांदुला नदी और सूखा नाला के संगम पर बालोद जिले में स्थित छत्तीसगढ़ की पहली नदी परियोजना है। इसका निर्माण ब्रिटिश अभियंता एडम स्मिथ के मार्गदर्शन में साल 1905 से 1912 के बीच पूरा हुआ। 1912 में तांदुला जलाशय का निर्माण हुआ। साल 2012 में तांदुला जलाशय का शताब्दी समारोह मनाया गया। तांदुला बांध की अधिकतम ऊंचाई 24.53 मीटर और लंबाई 2906.43 मीटर है। बांध के दो सहायक बांधों की ऊंचाई 6.61 मीटर और 2.83 मीटर है। वहीं लंबाई 668.42 और 426.70 मीटर है। जलाशय से आस-पास के करीब 23,001 हेक्टेयर कृषि जमीन की सिंचाई हो पाती है।