मुंबई/रायपुर 28 अप्रैल 2022। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के ग्राम जूना से आने वाले अभिषेक चौहान आज पूरे प्रदेश का ही नहीं पूरे देश का नाम रौशन करने में लगे हुए है बता दे कि प्रदीप चौहान के बेटे अभिषेक चौहान विभिन्न फिल्मो में काम कर चुके हैं, वही उनका सफर बिलासपुर जिले के एक छोटे से गाँव से शुरू हुआ है, आज वो बॉलीवुड के फिल्मो में मुख्य किरदार निभा रहे है|
दैनिक न्यूज भारत से चर्चा के दौरान अभिषेक ने अपने सफर के बारे में बताया कि उनका सफर कैसे शुरू हुआ, अभिषेक ने कहा कि एक छोटे से एरिया से हूँ जिसका नाम जूना है आज भी उस एरिया का नाम जूना बिलासपुर हैं, वहाँ मेरा जन्म हुआ मेरे पिता जी नाम श्री प्रदीप चौहान हैं, घर में मेरी दादी सी, के, चौहान और मेरी मम्मी सुधा चौहान इनके घर मेरा जन्म हुआ और ये तीन का बेहद योगदान रहा मेरे बड़े होने मे, मुझे जन्म तो मेरी मम्मी ने दिया लेकिन उनका साथ ज्यादा नही रहा क्युकी जब मै 7 साल का था तब उनकी डेथ हो गई उसके बाद मेरी दादी जी ने डबल रोल निभाया और वो मेरी दादी होने के साथ साथ मेरी माँ भी बनी और उसके बाद मेरे साथ रहे मेरे पापा जी जो खुद एक बहुत उम्दा सिंगर थे पापा के अंदर खूबी थी उनका गला सिंगर का था शानदार आवाज़ के धनी थे पापा ही जाना चाहते थे जवानी के वक़्त फिल्म इकस्टिटूट लेकिन वो जा नही पाए,, वो सब सब गुण शायद मेरे अंदर आया और बचपन से मुझे फिल्म देखने का बेहद शौक आया फिल्म ही नही बल्कि मै बचपन से चाहता था की जो काम मै करू वो ऐसा हो की मेरा नाम दुनिया मे हो सिर्फ पैसा के लिए मै काम नही करू बल्कि नाम सेवा मे भी काम हो, ये ही सोच मेरे अंदर आती गई। फिल्म की चीज़े मुझे समझ आने लगी,, जैसे जैसे मै बड़ा हुआ ये कोई आसान काम नही था उस बच्चे के लिए सोचना भी की इतने छोटे जूना से निकलकर मुंबई वो भी फिल्म मे एक्टिंग करना, लेकिन कोई ना कोई शक्ति थी अंदर जो मुझे बड़े होने तक बढ़ती गई और मैने फैसला लिया की फिल्म करूँगा,, सोचना भी बड़ा काम था। लेकिन लास्ट मे पापा का साथ मिला बाकी किसी का विश्वास नही था की अभिषेक कुछ करेगा क्योंकि जब आप आम घर से आम भाई बहन के बीच बड़े होते है और अगर कुछ काम खास करना चाहते है वो बात हजम नही होती आप की घर वालो को। मेरे उपर भी लोगो का विश्वास था नही। शायद मेरे लोगो का विश्वास आज भी नही है। लेकिन मेरा साथ पापा ने दिया और मै फिल्म इंस्टिटिटूट के तरफ निकल पड़ा वो आसान नही था, मैने वहा एडमिशन लिया पास हुआ फिर थियटर से जुडा शशि कपूर साहब के। वहाँ काम किया और फिर खूब मेहनत का दौर शुरू हुआ बिना की लालच। बिना कोई पैसा,, मुंबई मे पैसा तो बहुत हैं पर यह मेट्रो सिटी हो जाता हैं जिससे पैसे कम ही पड़ता है लेकिन मेरे पापा ने मुझे कमी नही होने दी लेकिन मुंबई तो मुंबई है फिर भी मै काफी मेहनत से किया सब, एक वक़्त आया जब मै उनके सामने था जिनको मै बचपंन से देखता आया था, वो सब स्टार से मिला उनके साथ काम किया। मेरे बड़े भाई जैसे मेरे साथ रहने वाले इंसान है उनका नाम है वर्धाराज स्वामी जी एक बहुत बड़े राइटर है फिल्म मेकर भी है वो मेरे सामने लिखे मांझी माउंटेन मैंन वो फिल्म मुझे मिली उसका योगदान जाता है स्वामी भैया को। जिन्होंने मेरे साथ काम किया मेरे साथ रहते है भाई जैसा प्यार दिया, मांझी बनी जो मेरे ही घर पे लिखी गई उसमे मै जुड़ा काम किया फिर गुलमोहर बनी कबाड़ द कोइन बनी ऐसा मै जूना से सोच लेकर आगे आया था मेहनत से मै उनके संमाने हूँ जिनको मै देखता था, आज बेहद खुश हूँ मेरे साथ बॉलीवुड के नाम चीन लोग साथ है मेरे नाम वीडियो दिया है श्री 20 स्टार, बेहद उम्दा बात है की वो बच्चे के नाम आज स्टार के संदेश आ रहे जो बचपन मे ये स्टार को सिनेमा मे देखा करता था,कामयाब के तरफ कदम है। मेरे शहर के लोग स्टेट के लोग ज़रूर देखे पढ़े मेरा सफर “प्यार दे ताकि कुछ आप सभी के लिए कर पाऊ”| अभिषेक चौहान।